गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

अमेरिका में भारत की डिप्टी काउंसलेट जनरल देवयानी की गिरफ्तारी - भारतीय कूटनीति की कमी

अमेरिका के न्यूर्याक में भारत की डिप्टी काउंसलेट जनरल देवयानी खोब्रागडे के खिलाफ वीजा धोखाधडी व भारतीय नौकरानी  के वेतन को लेकर उनके खिलाफ अमेरिकी प्रशासन द्वारा की गिरफ्तारी के बाद भारत मे जो बवाल मचा है वह भारतीय नीतियों की कमजोरियों का परिणाम है । हमारे देश की नीतिया व दूसरे देशो की नीतियों में बडा अन्तर ही इस प्रकरण की जड मे है । मामला हमारे देश के कानून  व अमेरिका के कानूनो मे अन्तर का प्रतीत होता है । भारत अपने राजनयिको को अपने यहा घरेलू नौकर रखने की अनुमति देता है तथा उन्हे वेतन के साथ ऐसे घरेलू नौकरों को भुगतान करने के लिए एक निश्चित राशि देता है  जो कि नाकाफी होती है । जैसे भारत में सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाता है लेकिन वह केवल नाममात्र की राशि होती है  इस महंगाई भत्ते से एक कर्मचारी महंगाई से पार नहीं पा सकता  क्योकि यह राशि महंगाई से लडने के लिए पर्याप्त नहीं होती फिर भी कर्मचारी अपने अन्य खर्चो मे कटौति कर महंगाई से जूझने का प्रयास करता है ऐसे ही भारतीय राजनयिको को घरेलू कार्यो मे हाथ बंटाने हेतु दिए जाने वाले  भत्ते की रकम भी नाम मात्र की होती है लेकिन फिर भी भारतीय राजनयिक इस मिलने वाली रकम से ज्यादा ही अपने घरेलू नौकरो को भुगंतान करते है अगर  वे उन्हे सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि  पर ही घरेलू नौकर रखने की जिद कर ले तो उन्हे कोई घरेलू नौकर मिले ही नही । अमेरिका मे घरेलू नौकरो को न्यूनतम मजदूरी या वेतन देने के कानून है उसके अनुसार न्यूनतम वेतन से कम पर अगर कोई नागरिक नौकर रखता है तो वह कानूनन अपराध है  और इसकी शिकायत अगर कोई नौकर वहां के प्रशासन से कर देता है तो  अमेरिकी कानून के अनुसार मालिक के खिलाफ कार्यवाही की जाती है ।
देवयानी के प्रकरण मे भी ऐसा ही हुआ उनकी घरेलू नौकरानी ने अमेरिकी प्रशासन के समक्ष अमेरिकी कानून के अनुरूप वेतन न देने की शिकायत अमेरिकी प्रशासन के समक्ष रखी जिस पर देवयानी को गिरफ्तार कर कस्टडी मे रखा गया । यहा प्रश्न है कि क्या देवयानी की गलती है  वे अपने नौकरों को  अमेरिकी कानून के अनुसार न्यूनतम मजदूरी क्यों नही देती  क्या अमेरिकी प्रशासन ने अपने कानून के अनुसार सही नही किया  अमेरिकी प्रशासन के पास उनकी घरेलू नौकरानी ने अमेरिकी कानून के अनुसार मजदूरी न मिलने की शिकायत की होगी तभी न्यूर्याक मे अमेरिकी अटानी प्रीत भरारा जो कि बहुत ही ताकतवर अभियोक्ताओं मे से एक है ने इस मामले को सुर्खियों में ला दिया । वास्तविकता यह है कि प्रीत भरारा उन विदेशी लोगो के खैर ख्वाह है जिनको अमेरिकी कानून के हिसाब से वहां सुविधाएं नही मिल रही । वे उन लोगो की बात उठाते है और उनको अमेरिकी कानून के हिसाब से अधिकार दिलाने की पैरवी करते है । इस प्रकरण मे भी ऐसा लगंता है कि देवयानी की नौकरानी उनके पास पहुच गई और उन्होने केस खडा कर दिया और भारत मे बवाल हो गया ।
        दरअसल समझने की बात यह  है कि भारत जितने भी देशो मे अपने राजनयिक भेजता है क्या वह उन राजनयिको को वहां के कानून के हिसाब से सारी सुविधाएं उपलब्ध कराता है  मेरी राय मे नही! उसी कारण देवयानी जैसे प्रकरण प्रकाश मे आते है । भारत सरकार को या तो भारतीय राजयनयिको को संबंधित देश के कानून के हिसाब से सारी सुविधाए देनी चाहिए अथवा भारत की सरकार को संबंधित देश के साथ अपने राजनयिको को दी जा रही सभी  संबंधित  सुविधाओं  का समझौता करना चाहिए ताकि किसी भी राजनयिक को इस तरह अपमानित न होना पडे । दरअसल ये भारतीय कूटनीति की कमी का परिणाम है । आज देवयानी के साथ ऐसा हुआ है कल किसी और देश में भी तो ऐसा हो सकता है। इसलिए  किसी भी राजनयिक को विदेश मे अपमानित न होना पडे इसके लिए पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए । भारतीय विदेश विभाग की यह जिम्मेदारी है कि वह प्रत्येक राजनयिक तथा उनके साथ यहा से भेजे जाने वाले कर्मचारी की सभी सेवा शर्तो का एक लिखित दस्तावेज संवंधित देश की सरकार के विदेशी मामलों के विभाग से अप्रूव्ड कराने के बाद ही उन्हे वहा भेजे ताकि वहा जाकर वह कर्मचारी ऐसी कोई शिकायत करने के लिए कानूनन अधिकारी ही न हो । जागरूकता मे हुई बढोतरी बढती महत्वकांक्षाओ आदि कारणो से सरकार को भी ऐसा मानस छोडना होगा कि पहले से ही ऐसा हो रहा है इसलिए अब क्यो नहीं होता इस सोच से वहा का कानून तो नहीं बदलेगा  हमे संबंधित देश के कानूनो के अनुरूप अपने विदेशी राजनयिको  उनके अधिनस्थ कार्य कर रहे कार्मिको की सुरक्षा एवं सुविधाओ का ध्यान रखना होगा तभी हमारे राजनयिक व कार्मिक विदेशो मे सुरक्षित व सम्मानित रह सकेगे ।  

        आज आवश्यकता इस बात है कि हमारे देश के विदेश विभाग को इस विचार करना होगा कि इस तरह की कमी का फायदा उठकार और किन किन देशो में हमारे राजनेताओ राजनयिको व उनके अधीन कार्य करने वाले कार्मिको को अपमानित होना पड सकता है । ऐसी स्थिति भविष्य मे आए उससे पहले ही उसका समाधान कर दिया जावे तो किसी को भी ऐसी स्थिति पैदा करने का मौका ही नही मिलेगा । आवश्यकता है तो सिर्फ मानिटरिंग कमेटी को सक्रिय करने की जो  विदेशो मे जाने वाले हमारे राजनीतिज्ञो राजनयिको व उनके अधिनस्थ कार्मिको के सम्मान को बनाए रखने के लिए वहा के कानूनो का अध्ययन कर उसके अनुरूप व्यवस्थाए करने के सुझाव दे सके व उनको क्रियान्वित कर सके । वरना कभी कोई देश हमारे किसी राजनीतिज्ञ की तलाशी इस तरह लेगा कि देश शर्मसार हो जाएगा तो कभी देवयानी जैसे राजनयिक अपमानित महसूस करेगे । ऐसी स्थिति न आएं इसके लिए पुख्ता इंतजाम किए जाने की महती जरूरत है ।