शनिवार, 20 अप्रैल 2013

5 साल साल की मासूम बच्ची से बलात्कार : नैतिक संस्कारों का पतन


दिल्ली में 5 साल की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार की घटना के बाद एक बार फिर देश में बवाल मच गया है । दिल्ली में लोग सडको पर उतर आए है तो देश के अन्य शहरो मे भी लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे है । बच्ची के साथ दरिदंगी इस हद तक हुई की मासूम के गुप्तांगों के जरिए मोमबत्ती व कांच के टुकडे पेट में पाए गए है । दिल रोने लगता है ऐसी दरिदंगी से । क्या हो रहा है हमारे देश में । जिस देश मे यत्र नारिश्य पूजन्यते रमन्ते तत्र देवता अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते है के श्लोक को अंगीकार किया जाता रहा है उस देश में नारी की यह दशा  जहॉ लोगो में चरित्र निर्माण के लिए ऐसे श्लोको को वाडग्मय में स्थान दिया गया आज वहॉ नारी सबसे बडी अबला इससे पहले 16 दिसम्बर को दामिनी के साथ गैगरेप  फिर दिल्ली की सडकों की कारों में गैगरेप । अपने ही मंगेतर के साथ गई बालिका के साथ मंगेतर के साथियो द्वारा बलात्कार । सगे भाई व बहन का पति पत्नी के रूप मे रहकर औलाद का होना । ये सब क्या है

       आप समझ रहे है ये क्यों हो रहा है  कौनसी सरकार इन सबको रोक पाएगी  कडे कानून क्या ऐसी घटनाओं को रोक पाएगे  अगर कानून बनाकर ही किसी सामाजिक बुराई को रोका जा सकता तो बाल विवाह तो होने ही नही चाहिए जबकि सच्चाई ये है कि शारदा एक्ट का जितना मखौल राजस्थान या देश के अन्य हिस्सो में उडता है उतना तो शायद किसी कानून का नहीं होता होगा । कडे कानून से ऐसी घटनाओं को कुछ हद तक कम तो किया जा सकता है लेकिन इसका समूल खात्मा नही किया जा सकता । हम इतने स्वार्थी हो गए है कि हमने अपनी हर अच्छी बुरी घटना के लिए सरकार को दोष देकर अपने कर्तव्यों की इति श्री कर रहे है अपने भीतर झांकने की फुरसत ही नही है और राजनीतिक विरोधी पार्टीयों ने तो जनता के इस मिंजाज को समझ लिया है और इस बहाने सत्ताधारी सरकार को घेरने को तत्पर रहती है । चाहे सरकार किसी भी दल की हो

       लेकिन क्या हमने कभी ऐसा सोचा है कि आखिर इन सब घटनाओं के पीछे मूल कारण क्या है  आज स्थिति यह है कि आरोपी ही भीड में शामिल होकर ऐसी घटनाओं के विरोध में खडा होकर प्रशासन एवं सत्ताधारी सरकार के नाकाम होने के नारे लगाता है राजनैतिक विरोधी दल सताधारी सरकार को घेरने को तत्पर रहते है लेकिन इसके मूल में झाकने की फुरसत किसी को नहीं । पिछले तीन चार माह की अवधि में देश में हुई इस तरह की घटनाओं को देखे तो इन सब के पीछे 15 से 35 साल की उम्र के युवको को ही दोषी पाया गया है । और यह भी देखने मे आ रहा है कि इन घटनाओं को रोकने के लिए होने वाले प्रदर्शनों में इसी आयु वर्ग के युवक बढ चढकर भाग ले रहे है । क्या आप कोई निष्कर्ष निकाल पा रहे है  कुछ समझ मे आ रहा है  पिछले  करीब 20 &-25 सालों कs बीच जो पीढी आई है वह मानसिक रूप से तो कुशाग्र है लेकिन इस पीढी के नौजवानो में  नैतिकता का अभाव बढ रहा है । इस पीढी के नवयुवक अपने मानसिक स्तर को तो काफी हद तक बढा चुके है लेकिन नैतिक स्तर पर उनका पतन भी हुआ है ।

       इसका कारण हमारी शिक्षा पद्धति में इन 20-&25 वर्षो में हुए परिवर्तन है जिसकी फसल हम अब काट रहे है जिसमें नैतिक मूल्यों को भूला दिया गया है । हमारी पीढी के लोगो को घर स्कूल में सबसे ज्यादा नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी जाती थी। शिक्षक अपने हर उद्बोधन मे नैतिक मूल्यों को महत्व देते थे । पाठय पुस्तकों में ऐसे पाठो का समावेश होता था जिनमें शिक्षा के साथ साथ नैतिक मूल्यों पर बल अधिक होता था  घर  परिवार के बडे लोग कोई भी गलत काम करने पर इस तरह से उनके दुष्परिणामो से  अवगत कराते थे कि उनके परिणामों की कल्पना करके ही सिहर जाते थे और बालमन में इतना भय बैठ जाता था कि आज भी ऐसे गलत कामों की ओर ध्यान आकर्षित होते ही बुजुर्गों द्वारा सुनाए गए वे दुष्परिणाम मन को ऐसा न करने की सलाह  स्वतः ही दे देते है बचपन के वे संस्कार आज भी हमें किसी भी गलत काम को होने से रोक देते है जबकि अब हम सच्चाई जानते है लेकिन बचपन का वह मन पर पडा अंकन आज भी कायम है जब भी मन ऐसा कोई गलत काम करने को होता है तो हमारे मन मे कानून की बात नहीं आती अपने बुजुर्गो की वे बाते याद आती है जो हमे गलत कार्य करने पर होने वाले पाप से डराती थी । हमारी पीढी के लोगो को याद होगा जब हम बचपन में अपनी बहन से झगडते थे तो मां या दादी हमे यह पाठ पढाती थी कि बहन को मारने से पाप लगता है और जब हम कई दिनो बाद भी कहीं बाहर जाते थे तो रास्ते में मां या दादी बहन के उस झगडे वाली बात को याद रखते हुए रास्ते में जब कोई कांटेदार झाडी आती थी तो हमें यह सीख भी देती थी  कि जब बहन को मारते है तो ऐसा कांटेदार पेड बनना पडता है और बाल मन पर ऐसी छाप पड जाती थी कि मन में अपने आप यह विचार आने लग जाता कि बहन को मारना नही चाहिए और न ही झगडना चाहिए । बालमन पर पडे ऐसे कई संस्कार हमारी पीढी के लोगो को अपने स्कूल  घर और आसपास के वातावरण से मिले है ।

       लेकिन आज के वातावरण में हम बच्चों को मानसिक रूप से तो परिपक्व बनाने की शिक्षा दे रहे है और उसमें हमारी शिक्षा पद्धति सफल भी हुई है लेकिन हम जीवन के दूसरे महत्वपूर्ण नैतिक पक्ष को भूला बेठे है  पाठय पुस्तको से नैतिक मूल्यों को पोषित करने वाले अध्यायों को उतना महत्व देना भूल गए है जितना की उनको दिया जाना चाहिए और शायद सबसे बडा कारण भी यही है कि इसी  के अभाव में ऐसी घटनाओं की संख्या कडे कानून के बाद भी कम नही हो पा रही है । 16 दिसम्बर 2012 के बाद तो नया कानून लागू हो चुका है अगर कानून बनाने से ही ऐसी घटनाओं पर रोक लग पाती तो फिर तो 15 अप्रेल 2013 को 5 साल की मासूम बच्ची के साथ घटी घटना तो नहीं होनी चाहिए थी । या फिर चलती कार में गैगरेप नहीं होना चाहिए  मंगेतर के दोस्तो को तो कानून का डर होना चाहिए था । बल्कि उसके बाद तो ऐसी घटनाओं में और वृंिद्ध हुई है । इससे यह साबित होता है कि ऐसी घटनाओं को केवल कडे कानून से ही नही रोका जा सकता  बल्कि इसके लिए हमें भावी पीढी में नैतिक मूल्यों को बढाने वाले उन संस्कारों को पनपाना होगा जो एक स्वस्थ समाज की स्थापना में कारगर सिद्ध हो सके ।

       हर नागरिक को जागरूक होना होगा हमारे आस पास होने वाली हर घटना पर हमें नजर रखनी होगी  बच्चों में नैतिक मूल्यों को विकसित करने वाली ऐसी आदर्श स्थितियों के उदाहरण प्रस्तुत करने होगे जिससे उनके बालमन पर उसका गहरा असर हो ताकि वे कोई गलत काम करने से डरे हमारी शिक्षा पद्धति में मानसिक विकास को बढाने वाले प्रयोगो के साथ साथ नैतिक मूल्यों को बढाने वाली पाठ्य सामग्री का समावेश करना होगा । उसके लिए अनिवार्य रूप से कांलाशों की व्यवस्था करनी होगी ।मानवीय मूल्यो को पोषित करने वाले विषयोसंवेदनशीलता बढाने वाले तत्वो अनैतिक कार्यो से दूर रहने व उनके दुष्परिणामों आदि से भावी पीढी को अवगत कराना होगा तब कही जाकर आने वाले 20&-25 वर्षो के बाद ऐसी पीढी आएगी जिसमें मानसिक परिपक्वता के साथ साथ नैतिक मूल्यों का आदर करने वाले संस्कार समाहित होगे । अगर हमने देरी की तो जितनी देरी करेगे उतने वर्ष हम पीछे चले जाएगे । कितना आश्चर्य होता है कि अनैतिक कार्य करने वाला भी बडी बेशर्मी से उन आन्दोलन कारियों में शामिल होकर अपने को बचाने की कोशिश करता है । नैतिकता का इतना पतन तो  शायद ही कभी देखा गया हो कि दोषी व्यक्ति ही नैतिकता का चोला पहन कर बगुला भगत बनने की कोशिश करे

सोमवार, 8 अप्रैल 2013

राजस्थान में निः शुल्क स्वास्थ्य जांच योजना : एक अत्यन्त सराहनीय कदम


राजस्थान सरकार ने विश्व स्वास्थ्य दिवस 07अप्रेल 2013 से प्रदेश में मुख्यमंत्री निः शुल्क जांच योजना के नाम से प्रदेश की जनता के लिए सभी राजकीय मेडीकल कालेज एवं सम्बद्ध अस्पतालो में 57 प्रकार की जांचों व जिला उप जिला तथा सैटेलाईट अस्पतालों में 44 प्रकार की जांचों को निशुल्क करने की व्यवस्था की है । इससे पहले राजस्थान सरकार द्वारा  प्रदेश वासियों को सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क दवाए उपलब्ध पहले से ही कराई जा रही है । स्वास्थ्य सेवाओं में इस तरह की सुविधाए जनता को बडी राहत देने वाली है इससे प्रदेश की जनता  बहुत ही राहत महसूस कर रही है ।

       जन कल्याणकारी सरकार का यह दायित्व है कि वह जनता को शिक्षा स्वास्थ्य व आवास जैसी मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराए जिसमें राजस्थान सरकार ने इन तीनों ही मूलभूत सुविधाओं की ओर ध्यान देकर प्रदेश की जनता को एक बडी सौगात दे दी है । शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 6 से 14 वर्ष के सभी बालकों को निः शुल्क शिक्षा पुस्तकें व पोषाहार राज्य की सरकारी स्कूलों में पहले ही दिये जा रहे है । स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं में पहले तो राज्य सरकार ने निः शुल्क दवा वितरण योजना को लागू किया और अब विभिन्न प्रकार की जांचों को भी निः शुल्क करने की योजना लागू कर प्रदेश वासियों को स्वास्थ्य सेवाआं में भी मंहगी दवाओं के खरीदने व जांचों पर होने वाले बोझ को कम कर दिया है । जो कि एक अत्यन्त सराहनीय कदम कहा जा सकता है । राजस्थान देश का पहला ऐसा देश बन गया है जहॉ स्वास्थ्य सेवाएं निशुल्क है ।

       हर योजना का उदेश्य भले ही जनता के हितों को ध्यान में रखने का होता है लेकिन उसकी प्रभावी क्रियान्विति  ही जनता को उस योजना का सही लाभ दिलाती है । सरकार की मनसा बहुत ही जन कल्याणकारी है लेकिन जब तक इसकी सफल क्रियान्विति नहीं होती इसका लाभ जनता को पूरा नहीं मिल पाता । राजस्थान सरकार ने निः शुल्क दवा वितरण योजना को सफलता से संचालित किया है हांलाकि इनमें कई दूसरी और दवाओं को शामिल करने की जरूरत है फिर भी इससे आम जनता विशेषकर ग्रामिण एवं गरीब लोगो को इतनी राहत मिली है कि वे राज्य सरकार का मन ही मन आभार जता रहे है । जब निशुल्क दवा वितरण योजना नहीं थी तो इन्ही ग्रामिण व गरीब मजदूर वर्ग को बीमार होने पर कम से कम 300 रूपये की दवाईयां एक बार ही खरीदनी पडती थी जिससे उन पर भारी आर्थिक बोझ पडता था सरकार ने सभी  वर्ग को ऐसी राहत देकर मानो उन्हे मंहगाई से जूझने में थोडा सुकून दे दिया है

       कल से ही शुरू हुई मुख्यमंत्री निःशुल्क जांच योजना को फिलहाल जिला उपजिला व सेटेलाईट अस्पतालों में ही लागू किया गया है लेकिन आगामी 1 जुलाई 2013 से प्रदेश के सभी सामुदायिक अस्पतालों में 28 प्रकार की तथा 15 अगस्त 2013 से प्रदेश के सभी प्राथमिक स्वास्थय केन्द्रो व डिस्पेसरीज में 15 प्रकार की जांचे निः शुल्क शुरू की जानी है । वास्तव में राज्य सरकार ने बहुत ही सोच समझकर तीन चरणों में इसे लागू करने का निर्णय लिया है जो सराहनीय है ।

       लेकिन अगर सरकार ने इस पर थोडा और मंथन किया होता तो इसे बहुत प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया जाकर प्रारम्भ से ही जनता को व्यवस्थित रूप से जांचे कराने का अवसर मिल सकता था । हॉलाकि अभी इसके व्यवस्थित होने व जनता को होने वाली परेशानियो का दौर शुरू नहीं हुआ है। फिर भी लगता है कि कुछ परेशानियां उत्पन्न होगी जिन्हे उसी अनुरूप निपटा भी लिया जाएगा ।
प्रथम चरण के बाद द्वितीय चरण में कोई कमी नहीं रहे इसके लिए सरकार को अभी से ही प्रदेश के सभी सामुदायिक स्वास्थ केन्द्रों पर लिखी जाने वाली विभिन्न प्रकार की जांचों  की रिर्पोट तैयार करवानी चाहिए जिसमें प्रतिदिन आने वाले मरीजों की संख्या प्रतिदिन चिकित्सकों द्वारा लिखी जाने वाली जांचों का विवरण तथा इन केन्द्रों पर इन जांचों को करने के लिए तकनीकी कर्मचारियों की वर्तमान स्थिति  तथा भविष्य में जब इन केन्द्रों पर यह व्यवस्था शुरू होगी तो बढने वाले मरीजों का अनुमान  उसी अनुरूप चिकित्सक एवं पेरा मेडीकल स्टॉफ की व्यवस्था व जांच संबंधी उपकरण इन उपकरणों के रख रखाव व खराब होने पर इनकी मरम्मत करने वाले मेकेनिको की व्यवस्था पहले से ही कर दी जानी चाहिए ताकि जनता को परेशानी नहीं हो ।
प्रायः हमारी व्यवस्था में होता यह है कि या तो उपकरण नहीं होते और होते भी है तो खराब होने पर उसकी मरम्मत करने वाले मेकेनिक नहीं होने के कारण वे कई महिनों तक खराब ही पडे रहते है अथवा उपकरण होते हुए भी जांच करने वाले तकनीकीशियन नहीं होते जिसके कारण जनता को असुविधा होती है । और फिर अच्छी योजना का भी हश्र ऐसा होता है कि वह विरोध  व आक्रोश को उत्पन्न करती है ।  जनता सरकार को कोसती है जबकि थोडी सी सुव्यवस्थित क्रियान्विति सरकार को वाहवाही दिला देती है ।

       सरकार को चाहिए कि एक अच्छी योजना को जनता सर आंखों पर  ले इसके लिए जरूरी है कि थोडी सी मुस्तैदी बरती जाए  आवश्यक जांच संबंधी उपकरण उनके संचालन हेतु प्रशिक्षित तकनीशियन व चिकित्सक खराब होने की स्थिति में तुरंत उनकी मरम्मत करने हेतु मेकेनिक चिकित्सा उपकरणों के रख रखाव व मरम्मत करने में प्रशिक्षित ) तथा जांच के बाद कम से कम समय में रिर्पोट देने की व्यवस्था आदि ये ऐसे छोटे छोटे ध्यान देने वाले बिन्दु है जिन्हे व्यवस्थित कर जनता को खुश किया जा सकता है ।

       आपकी जानकारी के लिए उन जांचों की सूची नीचे दी जा रही है जो अब सरकारी अस्पतालो में निः शुल्क की जाएगी ।

 सरकारी मेडीकल कालेज एवं सम्बद्ध अस्पतालों में 57 प्रकार की निम्न जांचे अब निः शुल्क की जाएगी ।

 

Clinical  Pathology :  -           14 Types  Of  Investigaions:-

1.Hemoglobin Estimation  (Hb)                         2. Total Leukocycte Count(TLC)                    3. Differential Leukocyte Count  (DLC)             4. MP ( Sild Method)     5. ESR      6. Bleeding Time  (BT)          7. Cloting Time  (CT)        8. PBF                9. CBC 10. Blood Group  (ABO-RH typin)                  11. Total Eosinophil Count  (TEC) 12.Prothromobin Time Test INR                      13. Pleural Fluid Cell Count                         14. Ascitic  Fluid Cell Count


Bio Chemistry: -             25 Ttypes  Of  Investigations

1. Blood sugar         2. blood Urea           3. S. Creatinine              4. S. Bllirubin (T) 5. S, Billirubin (D)   6. SGOT                 7. SGPT            8. S. Alkaline Phosphatase 9. S. Total Protien    10. S.Albumin       11. S. Clacium   12. S. CK-NAC              13. S. CK- MB         14. S. LDH            15.S.Amylase     16. S. Uric Acid             17. S. Triglyceride    18. S. Electrolyte      19. S. VLDL     20. S. Total Cholesterol 21. S. Lipase             22. S. HDL             23. S. GGT          24. S. Phosphorous      25. CSF Protein Chloride & Sugar


Microbiology :-       11 types  Of   Investigations :-

1. S.CRP       2. VDRL Rapid Test        3. HIV Repid Test      4. Sputum for AFB  5. Widal Silde Test     6. Degue (Repid) Test                 7. Malaria by Carid Test    8. Rheumatoid Factor (RF)         9.ASLO                       10. HBsAg (Rapid) Test  11. Gram Staining


Urien  Analysis :-   03  types Of  Investigations :-

1. Urien Complete Exam.         2. Urien Pregnancy Test          3. Urien Microscopy


Stool  Analysis:-  01 Type Investigation

1. Stool for Ova and Cyst


Cardiology :-  01 Type  Investigation 

01. ECG

Radiology :- 02 Types  X -Ray

1. X-Ray   2. Sonography

 


सभी जिला उप जिला तथा सैटेलाईट अस्पतालों में 44 की तरह की निम्न जांचे निशुल्क होगी 



Clinical  Pathology :  -           11 types  Of  Investigaions:-

1.Hemoglobin Estimation(Hb)                           2. Total Leukocycte Count(TLC)                    3. Differential Leukocyte Count (DLC)             4. MP ( Sild Method)     5. ESR      6. Bleeding Time (BT)          7. Cloting Time (CT)        8. PBF                9. CBC 10. Blood Group (ABO-RH typin)                    11. Total Eosinophil Count (TEC)



Bio Chemistry: -             16 types  Of  Investigations

1. Blood sugar         2. blood Urea           3. S. Creatinine              4. S. Bllirubin (T) 5. S, Billirubin (D)   6. SGOT                 7. SGPT            8. S. Alkaline Phosphatase 9. S. Total Protien    10. S.Albumin       11. S. Clacium   12. S. CK-NAC              13. S. CK- MB         14. S. LDH            15.S.Amylase     16. S. Uric Acid



Microbiology :-       10 types  Of   Investigations :-

1. S.CRP       2. VDRL Rapid Test        3. HIV Repid Test      4. Sputum for AFB  5. Widal Silde Test     6. Degue (Repid) Test                 7. Malaria by Carid Test    8. Rheumatoid Factor (RF)         9.ASLO                          10. HBsAg (Rapid) Test 



Urien  Analysis :-   03  types Of  Investigations :-

1. Urien Complete Exam.         2. Urien Pregnancy Test          3. Urien Microscopy



Stool  Analysis:-  01 Type Investigation

1. Stool for Ova and Cyst



Cardiology :-  01 Type  Investigation 

01.  ECG

Radiology :- 02 Types  X -Ray

1. X-Ray   2. Sonography