उतराखंड में जो प्राकृतिक आपदा आई है उसमें हजारों लोग अभी भी
सहायता के इन्तजार में है लेकिन प्रशासन द्वारा अभी तक कोई राहत उन तक नहीं पहुंच
पांई है इसका कारण एक तो वहंा की दुर्गम स्थिति है और दूसरी मौसम की बदलती स्थिति
है इसके अलावा जो रेस्क्यू आपरेशन चलाया जा रहा है वह भी व्यवस्थित नहीं हे । लोग
पिछले चार पांच दिनों से भूखे प्यासे सहायता का इन्तजार कर रहे है अगर उन तक शीघ्र
ही सहायता नही पहुंची तो उनमें से अधिकांश लोग भूख प्यास और बीमारी से दम तोड
देगें ।
उतराखण्ड
में स्थानीय प्रशासन को अपने क्षेत्र के प्रभावित क्षेत्रों को तुरन्त चिन्हीत कर
वहा फॅसे लोगो की पहचान करनी चाहिए इसके लिए जिला प्रशासन को हर एक किलोमीटर के
एरिया की रिर्पोट के लिए स्थानीय कर्मचारियों को जिम्मेदारी देकर तुरन्त इसकी
जानकारी प्रशासन को देने की हिदायत दी जा सकती है । कर्मचारियों के अभाव की स्थिति
में समाजसेवी संगठनों व्यापारिक संगठनों जन
प्रतिनिधियों वार्ड
मेम्बरों वार्ड पंचों को इस आफत की घडी में ऐसी जिम्मेदारी
दी जा सकती है । ये कार्य वहा के स्थानीय निवासी कर सकते है । सबसे पहले ऐसे लोगों
तक खाना पानी व दवाईयां पहुचाई जानी चाहिए तत्पश्चात् प्रभावित लोगों को वहा से
निकालने के प्रबंन्ध किये जाने चाहिए । अभी तक जो रेस्क्यू आपरेशन चल रहा है उससे
ऐसा लगंता है कि उसमें कोई तारतम्यता नही है जहा से भी सूचना मिल रही है वहॅ टीमें
भ्ेजी जा रही है लेकिन कुछ लोग ऐसे स्थानों में फॅसे है जहा से प्रशासन को कोई भी
सूचना नहीं मिल पाई है क्योंकि लोगों के मोबाईल फोन ठप्प हो गए है ।
टीवी चैनलों पर दिखाई जा रही रिर्पोटो से तो ऐसा
लगता है कि फॅसे हुए लोग जैसे तैसे अपने परिजनों को सूचना भिजवा रहे है लेकिन
स्थानीय प्रशासन तक इनकी सूचना नहीं पहुच पा रही है इससे ऐसा लगता है कि स्थानीय
लोग जो कि उस क्षेत्र से परिचित है अभी तक स्थानीय प्रशासन को सूचना नहीं दे पा
रहे है । चूंकि श्रद्धालुओं को अपने फॅसे होने की स्थिति का पूरा ज्ञान नहीं है
इंसलिए प्रशासन भी उन तक नहीं पहुॅच पा रहा है ।
ऋषिकेश
से बद्रीनाथ केदारनाथ गंगोत्री
व यमुनोत्री के मार्ग जिस स्थान से बंटते है उनका बेस केम्प तो उसी स्थान पर होना चाहिए जिससे यह होगा कि जो
जिस मार्ग पर फॅसे है उनका बेस केम्प वहा होने से उनके परिजनों को यह जानकारी हो
सकेगी उनके फॅसे परिजन किस बेस केम्प को रेफर किये जाऐगें जिससे वे उनसे सम्पर्क
कर सकेगें क्योंकि अधिंकाश परिजनों को उनकी अंतिम बाताचीत के अनुसार मालूम है कि
उनके प्रभावित परिजनों ने उन्हे वहा की लोकेशन बताई थी । इसलिए इस मार्ग का बेस
केम्प वहां बनाया गया है अतः उनके परिजन संबंधित बेस केम्प मे ही रेफर होगें ।
इन
मार्गो पर स्थित जिलो प्रशासन को अपने क्षेत्र में अवरू़द्ध हुए मार्गों को
चिन्हीत कर वहा फॅसे श्ऱद्धालुओं तक सबसे पहले खाना पानी
व दवाईयां पहुंचाने का इन्तजाम करना चाहिएं
अवरूद्व हुए मार्गा व फॅसे लोगो की जानकारी उस क्षेत्र के ग्रामसेवकों पटवारियों जनप्रतिनिधियों
तथा ग्रामिणों से ली जा सकंती है । इसके अलावा इतने दुर्गम मार्ग की देखरेख के लिए
जिम्मेदार सार्वजनिक निर्माण विभाग के निरीक्षक एवं कर्मचारियों की रिर्पोटों के
आधार पर भी अवरू़द्ध व लैण्ड स्लाईडस
एरिया की जानकारी हो सकती है ।
ये सामान्य सी बात है कि जहा लैण्डस्लाईडस हुआ
है उसके आस पास ही फॅसे लोगो का जमावडा होगा । क्योंकि उन्हे वहा से आगे निकलने का
रास्ता नही मिल सका है । इसलिए श्रद्धालुओं की सबसे बडी संख्या ऐसे स्थानों पर ही
होगी । इसके अलावा ये भी हो सकता है कि लैण्डस्लाईडस के समय उसके आसपास रहे लोग
उसी क्षेत्र के आसपास स्थित सुरक्षित स्थान पर चले गए हो और अभी भी वहंी फॅसे हुए
हो अतः हवाई सर्वेक्षण से ऐसे लोगो को ढूढा जा सकता है इसके अलावा ये भी संभव है
कि आसपास के गांवों में उन्होने शरण ले रखी हों । बिजली न होने के कारण मोबाईल
सेवाए ठप्प हो गई हो मोबाईल बैटरिया इतने दिनों तक चार्ज नही
रह सकती इसलिए वे अपने परिजनो से भी सम्पर्क नहीं कर सकते हो। जैसे जैसे स्थिति
सुधर रही है प्रभावित लोगो को मोबाईल चार्ज करने की
सुविधा मिल रही है वे अपने परिजनों से सम्पर्क कर रहे है ऐसे लोगों तक सहायता
पहुॅचाने के लिए परिजनों को उन्हें टीवी पर दिखाए जा रहे नम्बरों को सम्पर्क करने
एवं स्वयं भी उन नम्बरों पर सम्पर्क कर स्थिति की जानकारी देने का प्रयास करना
चाहिए। इस आपदा की घडी में हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह अपनी जिम्मेदारी को
समझे ।
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