रविवार, 23 जून 2013

उतराखण्ड आपदा: पुर्ननिर्माण मे न दोहराई जाएं पुरानी गलतियां: ऐसे हो उपाय

उतराखण्ड में नए सिरे से पुर्ननिर्माण होना जरूरी हो गया है तभी देव भूमि में यात्रियों के आने का सिलसिला शुरू हो सकेगा । लेकिन इस बार पुर्ननिर्माण में आपदा प्रबंधन की कार्ययोजना बनाई जाकर उसी अनुरूप निर्माण हो तो ज्यादा अच्छा होगा । कुछ ऐसे उपाय है जिन्हे अपनाकर प्राकृतिक आपदा को कम किया जाकर जान माल के नुकसान को रोकने का सार्थक प्रयास किया जा सकता है:-

 

 
Ø उतराखण्ड सरकार को पहाडों की निगरानी के लिए एक तंत्र का विकास करना चाहिए । जिस तरह से रेलवे ट्ेक की निगरानी गैंग मैन करते है उसी प्रकार पहाडों की लेण्ड स्लाईड की निगरानी के लिए चार धाम मार्गो पर भी इसी तरह की निगरानी के लिए कर्मचारी नियुक्त किये जाए जो अपने क्षेत्र के पहाडी रास्तों निगरानी करे व पहाडों में आई दरारों की जानकारी अपने  उच्चाधिकारियों  को दें और वे तुरन्त उनका समाधान करें । इसके अलावा ये कर्मचारी पहाडों के किनारे होने वाले अतिक्रमणों की रिर्पोट भी करें ताकि पहाडों की न केवल सुरक्षा हो सके बल्कि पहाडों से निकलने की पर्याप्त जगह भी बनी रहे ।


Ø सडको के पुर्ननिर्माण  मे वाहनों को निकलने की पर्याप्त जगह छोडते हुए  निर्माण किए जावे यही नहीं पानी का बहाव इस तरह किया जावे की वह सडकों को कम से कम नुकसान पहुचावं । इसके अलावा सडकों के उपर के पहाडों के बीच इतनी जगह छोडी जाए कि लेण्ड स्लाईडिंग की स्थिति में मलबा कम से कम रास्ते को अवरूद्ध करें । पर्याप्त व उचित तकनीक अपनाकर  पहाडों को सुरक्षित किया जा सकता है ।


Ø इसके अलावा वैकल्पिक मार्ग की संभावनाएं भी तलाशनी होगी ताकि आपात स्थिति में उन मागों से आवागमन संभव हो सके । उन वैकल्पिक मार्गो भी देखरेख भी उसी तरह हो जिस तरह कि आम मार्गो की हो । पहाडों से पानी को निकलने के रास्ते निकाले जावें ताकि पानी सामान्य तरीके से आसानी से अपने रास्ते से ही होकर नदीयों में मिलें ।


Ø इसके अलावा पहाडी क्षेत्रों में जगह जगह आपात स्थिति के लिए हवाई पट्टीयों का निर्माण किया जावें और उनकी दूरी निश्चित हो ताकि लोगों को शीघ्राति शीघ्र निकाला जा सके ।


Ø पहाडी क्षेत्रों में सेटेलार्इ्रट फोन का उपयोग हो ताकि मौसम की खराबी के कारण सम्पर्क की कोई परेशानी न हो । यात्रियों के मोबाईल फोन भी उस क्षेत्र में प्रवेश करते ही स्वतः ही सेटेलाईट से जुड जांए ताकि वे अपने बारे में सही जानकारी दे सके ।


Ø पहाडी क्षेत्रों में हर 10 किलोमीटर के क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों से लैस भण्डारगृह स्थापित किये जावे ताकि आपदा के समय जल्दी से राहत उपलब्ध हो सके ।

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