शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

जन लोकपाल बिल का नागरिक चार्टर

अन्ना हजारे ने अपने अनशन को समाप्त करने के लिए जिन तीन मांगो को संसद द्वारा आज ही सहमति देने की शर्त लगाई है उनमे प्रत्येक राज्य मे लोकायुक्त की व्यवस्था करने सभी सरकारी कर्मचारियो को लोकपाल के दायरे मे लाने व सिटीजन चार्टर की व्यवस्था

करना शामिल है । नागरिक चार्टर कैसा हो इस पर सिविल सोसाईटी ने अपने जन लोकपाल बिल मे जो सिटीजन चार्टर यानि नागरिक चार्टर प्रस्तुत किया है वह इस प्रकार है । वे चाहते है कि जो लोकपाल बिल पारित संसद द्वारा पारित किया जावे उसमे इस चार्टर के
अनुसार हर विभाग मे कार्य निर्धारित अवधि मे हो यदि ऐसा न हो तो उसे भ्रष्टाचार की श्रेणी मे माना जावे । प्रत्येक बुद्धिजीवी वर्ग मीडिया प्रशासनिक अनुभव रखने वाले वकीलो सामाजिक कार्यकर्ताओ से मेरा निवेदन है कि इस पर चिन्तन कर अपने विचार दे ताकि इस नागरिक चार्टर को और प्रभावी बनाया जा सके प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह देश के लिए जो सर्वश्रेष्ठ हो उसके लिए अपने विचार व्यक्त करे यदि उसमेकोइ अच्छी बात हो तो वह एक अच्छे चार्टर मे शामिल होने से वंचित क्यो रहे ।


नागरिक चार्टर जन लोकपाल बिल

सभी सरकारी विभागों को एक नागरिक चार्टर ;घोषणा पत्र तैयार करना होगा, जिसमें यह लिखा होगा कि कौन सा अधिकारी जनता का कौन सा काम कितने दिन में पूरा करेगा। जैसे- कौन सा अफसर राशन कार्ड बनायेगा, कौन सा अफस पासपोर्ट बनायेगा और इनको बनाने में कितना वक्त लगेगा।


अगर चार्टर का पालन नहीं किया जाता, तो कोई भी व्यक्ति उसके खि़लाफ उस विभाग के मुखिया के पास शिकायत कर सकेगा। विभाग का मुखिया जन शिकायत अधिकारी (पीजीओ के रूप में कार्य करेगा।

पीजीओ को शिकायत का निपटारा अधिकतम 30 दिनों में करना होगा।


अगर शिकायतकर्ता पीजीओ के काम से संतुष्ट नहीं होता है, तो वह इसकी शिकायत सीधे सतर्कता अधिकारी यानि विजिलेंस अफसर, से कर सकता है।


जन लोकपाल के पास हर जिले में एक सतर्कता अधिकारी और लोकायुक्त के पास हर प्रखंड यानि ब्लॉक में एक सतर्कता अधिकारी होगा।


ऐसी शिकायतों में यह मान लिया जाएगा कि इनमें रिश्वतखोरी का मामला बनता है। सतर्कता अधिकारी को-
30 दिनों के भीतर शिकायतकर्ता का काम करवाना होगा। व दोषी अधिकारियों पर जुर्माना लगाना होगा, जो शिकायतकर्ता को मुआवज़े के रूप में मिलेगा। व दोषी अधिकारी के ख़िलाफ भ्रष्टाचार की कार्यवाही शुरु की जायेगी।


यदि कोई नागरिक सतर्कता विभाग की कार्यवाही से संतुष्ट नहीं होता है तो वह जन लोकपाल या जन लोकायुक्त के मुख्य सतर्कता अधिकारी यानि चीफ विजिलंेस अफसर ;सी.वी.ओ. के पास अपील कर सकेगा।


किसी विभाग के अधिकारी के खिलाफ लगे आर्थिक या विभागीय दंड के विरूद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकेगी।


हमारा मानना है कि जब किसी विभाग के प्रमुख के ऊपर कुछ जुर्माने लगाए जाएंगे, तो वह उचित व्यवस्था लागू करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में ऐसी शिकायतें न आये।


जन लोकपाल/लोकायुक्त के तहत नागरिक अधिकार पत्र ;नागरिक घोषणा पत्र या सिटिज़न चार्टरद्ध के उल्लंघन से संबंधित जन शिकायतों का निवारण कैसे किया जाएगा?
फ्लो.चार्ट


1 नागरिक सिटिज़न चार्टर के अनुसार संबंधित अधिकारी को कार्य कराने के लिए संपर्क करेगा।

यदि कार्य संतोषजनक रूप से निश्चित समयावधि में पूरा नहीं किया जाता है तो


2 नागरिक जन शिकायत अधिकारी को शिकायत करेगा।


यदि शिकायत का निपटारा 30 दिन में नहीं होता जाता। नागरिक जन लोकपाल,जन लोकायुक्त के सतर्कता अधिकारी
को शिकायत करेगी।


3 सतर्कता अधिकारी शिकायत प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर दोषी अधिकारी पर जुर्माना लगाएगा जो उसे पीड़ित व्यक्ति को हर्जाने के
रूप में देनी होगी। वह उस पर भ्रष्टाचार की कार्यवाही भी शुरू करेगा।


यदि पीड़ित व्यक्ति अब भी असंतुष्ट हो

4 मुख्य सतर्कता अधिकारी को अपील।

मंगलवार, 23 अगस्त 2011

कैसे दूर हो भ्रष्ट्ाचार

कैसे दूर हो भ्रष्ट्ाचार

Chandra Prakash Ojha द्वारा 23 अगस्त 2011 को 18:55 बजे पर





देश में भ्रष्ट्ाचार को दूर करने को लेकर अन्ना हजारे के नैतृव में लाखों लोग ही नहीं बल्कि पूरा जन उनके साथ दिखाई देता है । लगता है इस देश की जनता भ्रष्ट्ाचार से इतनी आजीज आ चुकी है जैसे इस बार तो इस भ्रष्ट्ाचार रूपी जंक को उखाड ही फैकेगी। केन्द्रीय सरकार हिल गई है उसे सूझ ही नहीं रहा कि वह इस जन सैलाब से कैसे निजात पाए । सब तरफ अन्ना के जन लोकपाल को पारित करने की गूंज दिखाई दे रही है । खुफिया एजेन्सियां सरकार को चेता रही है कि यदि जल्द ही इस पर पार नहीं पाया गया और इस बीच अन्ना को कुछ हो
गया तो जनता के हाथ के तिरंगे का डंडा सरकार पर ऐसा चलेगा कि वह लाख कोशिश के बाद भी बच नहीं पाएगी ।


छोटे छोटे कस्बों में भी लोग अन्ना के जन लोकपाल बिल के समर्थन में है । स्वतःस्फूर्त रैलियां निकाल रहे है । कोई केंडिल मार्च कर रहा है तो कोई कुछ और । यानि हर तरफ भ्रष्ट्ाचार मिटाने के लिए जनता अन्ना के साथ है । ऐसा लगता है कि जनता अन्ना के साथ मिलकर इस पर आर पार की लडाई के मूड मे है । कोई कहता है इतना जन सैलाब तो महात्मा गांधी के आंदोलन के समय दिखाई दिया था तो कोई इसकी तुलना जय प्रकाश नारायण के आदोलंन से कर रहा है । वास्तव मे ऐसा दिख रहा है कि इस बार इंकलाब आकर ही रहेगा ।


लेकिन इस जन सैलाब के दूसरे पक्ष को आप देखेगें तो आपको यह एक भीड तंत्र दिखेगा जो बिना सोचे समझे अन्ना के साथ है उसकी मन की भावना अन्ना की तरह साफ नही है । हॉ जनबा धारा के विपरित आपको यह बात कुछ अटपटी लगेगी क्योंकि जब सब तरफ एक ही बात हो और उसके विपरित कोई बात कही जाएं तो या तो उसे विरोधी कहा जाता है या फिर पागल । लेकिन मै आपको एक ऐसी हकीकत से अवगत कराता हूं जिससे सुनकर आप वास्तव में मानेगे कि अभी भारतवासी भ्रष्ट्ाचार से इस देश से बिदाई नही चाहते है । ये जो जन सैलाब दिख रहा है वह वास्तव में उन स्वतंत्रता सेनानियों के जोश वाला नहीं है जिन्हें सिर्फ आजादी चाहिए थी। यहॉ इस भीड तंत्र को अभी भ्रष्ट्ाचार मुक्त देश नहीं जरूरत महसूस नहीं र्हुइं है । हॉ आग जलती दिखाई देने लगी है लेकिन इस आग में जलने को आम नागरिक अपने को पूरी तरह तैयार नहीं कर पाया है ।


जब तक पूरे मन से भ्रष्ट्ाचार को हटाने का जनता का मानस नहीं बनेगा तब तक यह समाप्त नहंी हो सकता । अभी उसमें देर दिखाई देती है । अन्ना लाख कोशिश कर ले अभी वह समय नहीं आया है । वे पिछले आठ दिन से अनशन पर बैठे है जनता का समर्थन भी है लेकिन अन्ना हजारे जी आप माने या माने जनता ने मन से इसे हटाने का मानस अभी नहीं बनाया है जिस दिन ये पूरा हो जाएगा उस दिन ये भ्रष्ट्ाचार नौ दो ग्यारह हो जाएगा । लेकिन इसके लिए जनता को अपना मन बनाना होगा ।


अभी कल ही मैं एक टी वी चैनल देख रहा था। भारी भीड के बीच मीडिया वाले लोगो का इन्टरव्यू दिखा रहे थे। कोई बता रहा था कि वे रात दो बजे तक ड्यूटी पर थे और सुबह पांच बजे चलकर अन्ना के समर्थन मे आ पहुचे है तो कोई साईकलों पर बैठकर अन्ना का साथ देने आ रहे है । इसी बीच मैने कुछ लोगो का इन्टरव्यू देखा जिसमे वो बता रहे थे कि वे अन्ना को समर्थन देने बहुत दूर से आए है यहां तक कि उन्हें रेल में रिर्जेवेशन नहीं मिला तो भी उन्होने टीटी को एक हजार रूपये अलग से देकर अन्ना को समर्थन देने आए है यानि उनमे इतना उत्साह था कि अन्ना को समर्थन देने के लिए रिश्वत देकर आएं हांलाकि उनकी यह भावना अन्ना के प्रति उनके सम्मान को प्रकट करती
है लेकिन इसके पीछे एक बात वह छोड र्गए है कि हमारा मानस किस जूनून तक येन केन अपने मकसद को पूरा करना है । जिस भ्रष्ट्ाचार को समाप्त करने के लिए अन्ना अनशन पर बैठे है उसे ही बढावा देकर वे अन्ना को समर्थन देने आ पहुंचे है । गहराई से सोचना होगा कि क्या इस तरह से देश भ्रष्टाचार से दूर होगा ।


एक और बात बताता हूं आपको कल ही मुझे बस से बाहर जाना पडा । तीन चार युवक भी उसी बस मे थे । कडक्टर टिकट काट रहा था । साथ ही वह यात्रियों से पूछ रहा था टिकट दूं क्या । किसी ने हां कि तो पूरे पैसे लिए और टिकट दे दिया । किसी ने ना की तो कुछ कम पैसे लिए और टिकट नहीं दी टिकट के पैसे अपनी जेब मे डाल लिए । उन युवकों की बारी आई । वे मेरे आगे वाली सीटो पर बैठे थे उनमे से एक ने सभी का किराया दिया । कडक्टर रूपये लेकर आगे बढ गया । युवको हलचल हुई । अन्ना की बाते होने लगी । कोई बोला अन्ना तो भ्रष्टाचार मिटाने के लिए अनशन पर बैठे है और देखो ये कडक्टर इस माहोल मे भी डकार रहा है । युवकों में जोश आया उन्होने कडक्टर को
बुलाया और बोले भाई साहब टिकट दिजिए । कडक्टर बडी ही ईमानदारी से बोला किसने मना किया लाओ चौदह रूपये और दो टिकट बना देता हू । युवकों को ऐसा लगा जैसे उसने उनकी पूरी जेब के पैसे ही मांग लिए हो । वे दुबारा टिकट नहीं मांग सके । कुछ देर कडक्टर इस इंतजार में उनके पास खडा रहा कि शायद उनमे से कोई चौदह रूपये दे तो वह टिकट बना दे । उन युवकों मे से किसी ने रूपये दिये नहीं और कडक्टर बिना कुछ बोले चुपचाप आगे बढ गया ।


मुझे लगा इस देश से अन्ना अकेले भ्रष्ट्ाचार दूर कर सकेगे जब तक इस देश की जनता मन से इसे दूर करने का संकल्प नहीं लेती तब तक कोई अन्ना हजारे कुछ नही कर सकता । हम अपने स्वार्थ के लिए वह सब करने को तैयार है जो हमें भ्रष्ट्ाचार दूर करने के लिए नहीं करना चाहिए ।


लेकिन ये दो उदाहरण ये सिद्ध करते है कि ये प्रवृति ही हमारे भ्रष्ट्ाचार की जड है। जब अपने आराम की बात आई तो उन महाशयों ने कष्ट सहने की बजाय टीटी को रिश्वत देकर अपने आराम का इंतजाम करने मे ही भला समझा वे ये भी भूल गए कि वे जिस व्यक्ति के पवित्र आंदोलन को समर्थन देने जा रहे है वह इस बुर्राइं से लडने के लिए ही पिछले आठ दिनों से अनशन पर बैठा है । यही नहीं युवा पीढी ने केवल अपने चौदह रूपये बचाने के लिए कडक्टर को करीब 80 रूपये हजम करने की मौन इजाजत दे दी ।


मेरा मन उस शख्स के प्रति गद्गद् हो गया कि वो कितने भुलावे में आकर इस भीड तंत्र को देखकर आल्हादीत हो रहा है कि देश की जनता उसको कितना प्यार समर्थन सम्मान दे रही है कि वह इसके एवज मे अपनी जान देने को तैयार है और दूसरी तरफ वही जनता यू तो उनके साथ खडी दिखाई देती है लेकिन जब अपने व्यक्तिगत स्वार्थ या आराम की बात आती है तो यू टर्न लेकर उस विपरित आचरण करने से भी नहीं हिचकतीं ।


इन दो उदाहरणो से मुझे लगा कि अभी देश भ्रष्ट्ाचार से मुक्त होने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है । जिस दिन हर व्यक्ति पूरे मन से इसे दूर करने की ठान लेगा उस दिन किसी जन लोकपाल की जरूरत ही नहीं रहेगी या फिर तभी जन लोकपाल प्रभावी हो सकेगा

जन लोकपाल बिल में लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया

 

जन लोकपाल बिल में लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया इस प्रकार निर्धारित की गई है विचारशील बुद्धिजीवी न्यायाधीशों वकीलों
मीडिया आदि से मेरा निवेदन है कि इस प्रक्रिया पर अपनी राय से जनता को बताएं कि जन लोकपाल की प्रस्तावित प्रक्रिया उचित है या आपके विचार से इसमें और क्या संशोधन किये जा सकते है जो इसे और अधिक पारदर्शी बनाया जा सके ।
जन लोकपाल के दस सदस्यों और अध्यक्ष के चयन के लिए एक चयन समिति बनाई जाएगी। इस समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता, दो सबसे कम उम्र के सुप्रीम कोर्ट के जज, दो सबसे कम उम्र के हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) एवं, मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) होंगे। चयन समिति योग्य लोगों का चयन उस सूची से करेगी, जो उसे ‘सर्च कमेटी’ द्वारा मुहैया कराई जाएगी।

‘‘सर्च कमेटी‘‘ में दस सदस्य होंगे, जिसका गठन इस तरह होगाः- सबसे पहले पूर्व/रिटायर्ड सीईसी और पूर्व सीएजी में से पांच सदस्य चुने जाएंगे। इनमें वो पूर्व सीईसी और पूर्व सीएजी शामिल नहीं होंगे, जो दाग़ी हों या किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ हुए हों या अब भी किसी सरकारी सेवा में कार्यरत हों। ये पांच सदस्य अब बाक़ी पांच सदस्यों का चयन देश के सम्मानित लोगों में से करेंगे, और इस तरह दस लोगों की सर्च कमेटी बनेगी।

सर्च कमेटी देश के विभिन्न सम्मानित लोगों, जैसे संपादकों कुलपतियों, या जिनको वो ठीक समझें- उनसे सुझाव मांगेगी। इन लोगों के सुझाये गये नाम वेबसाइट पर डाले जाएंगे, जिन पर जनता की राय ली जाएगी। इसके बाद सर्च कमेटी की मीटिंग होगी जिसमें आम राय से
रिक्त पदों से तिगुनी संख्या में उम्मीदवारों को चुना जाएगा। यह सूची चयन समिति को भेजी जाएगी, जो सदस्यों का चयन करेगी।
घ्सर्च कमेटी और चयन समिति की सभी बैठकों की वीडियो रिकॉर्डिंग होगी, जिसे सार्वजनिक किया जाएगा।

मंगलवार, 16 अगस्त 2011

अन्ना की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम - जनता का समर्थन, राजनीतिज्ञ और राजनीतिक पार्टीया के दोहरे चरित्र


अन्ना हजारे के समर्थन में आज देश भर से हजारों लोगों ने अपना समर्थन व्यक्त करने हेतु उनके जन लोकपाल बिल को सरकार द्वारा मानने हेतु दबाव बनाने के लिए प्रदर्शन किये । कहीं मशाल जुलूस  तो कहीं केंडल लाईट प्रदर्शन कर लोगो ने अन्ना की गिरफ्तारी का न केवल विरोध किया बल्कि उनकी भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम मे उनके साथ होने का संदेश दिया । हांलाकि सरकार को देश भर मे हो रहे प्रदर्शनों में जनता की भावना को समझ लेना चाहिए कि आखिर जनता चाहती क्या है सरकार को जनता की भावनाओं को समझते हुए अपने द्वारा प्रस्तुत लोकपाल बिल में संशोधन कर लेना चाहिए इससे एक तो जनता को यह सुकुन मिलेगा कि सरकार जनता की भावना को संवेदनशीलता से लेती है और उसने उसी अनुरूप परिवर्तन कर जनता की भावना का सम्मान किया है । दूसरी तरफ भाजपा इस आंदोलन की आड मे राजनीति पर उतर आई है और उसके बडे बडे नेता भी मशाल जुलूस में शामिल होकर जनता के सैलाब को देखते हुए अन्ना के साथ खडी दिखाई देती है और जनता को यह प्रदर्शित करने का प्रयास कर रही है कि वह अन्ना के साथ है जबकि  वास्तविकता यह है कि जब अन्ना ने अपने लोकपाल बिल के समर्थन के लिए भाजपा नेताओं से सम्पर्क किया था तो किसी ने भी उन्हे यह आश्वासन नही दिया था कि वे उनके बिल का संसद मे समर्थन करेंगे । और आज जब उन्हे अन्ना के साथ जनता का समर्थन दिखाई दे रहा है तो वे मशाल जुलूस निकाल कर जनता को गुमराह कर रहे है । इससे स्पष्ट होता है कि भाजपा भी अब अवसरवादी पार्टी बन गई है जो मुद्दों व सिद्धांतों की लडाई छोड कर अवसर देख कर अपनी व्यूह रचना गढती है ।

        यदि वास्तव मे भाजपा अन्ना के जन लोकपाल बिल का समर्थन करती है तो इस आंदोलन से पूर्व अन्ना ने पार्टी से सम्पर्क किया था तब उन्होने अन्ना हजारे को कोई ठोस आश्वासन क्यों नहीं दिया भाजपा जो आज अन्ना के पक्ष मे मशाल जुलूस निकाल रही है वह चाहती तो अन्ना के लोकपाल बिल को अपनी तरफ से संसद में प्रस्तुत कर सकती थीं अथवा कोई भी संसद सदस्य अपनी ओर से अन्ना के जन लोकपाल बिल को अपनी तरफ से प्रस्तुत कर सकता था किन्तु न तो किसी संसद सदस्य ने और न ही किसी वामदल तृणमूल कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी जनता दल या अन्य किसी दल ने इसे अपना विधेयक बनाकर पेश करना उचित समझा। जनता को यह समझ लेना चाहिए कि हमारे संसद सदस्य  व पार्टीयां किस तरह भीड देखकर अपना चेहरा बदलती है। आज जब अन्ना के साथ जनता का समर्थन दिखाई दे रहा है तो वे बिना मांगे ही समर्थन देकर अन्ना को यह दिखाना चाहती है कि उनके साथा है लेकिन अन्ना हजारे एवं जनता को इन चेहरों व पार्टीयों के चेहरों को समझ लेना चाहिए कि ये अवसरवादी ताकते वास्तव मे मन से उनके साथ  नहीं है ये वे लोग है तो अवसर की तलाश मे रहते है और अवसर मिलते ही अपना रंग बदल लेते है । आज जनता व अन्ना हजारे की टीम को समझ लेना चाहिए कि ये अवसरवादी ताकते कहीं अपना राजनीतिक फायदा बटोर कर जनता को ढेंगा न  दिखा दे । क्योंकि जो भाजपा आज मशाल जुलूस निकाल कर समर्थन दिखा रही है वह केवल राजनीतिक लाभ ही लेना चाहती है उसे प्रभावी जन लोकपाल से कोई लेना देना नहीं है । उसे सरकार को पटकनी देनी है और उसे जनता का मंच मिल गया है जिसे वह भुनाने का प्रयास कर रही है लेकिन जनता को ऐसी पार्टी व लोगो से सावधान रहना चाहिए कि कहीं वे इसका नाजायज फायदा उठाकर श्रेय अपने सिर लेने का प्रयास न करें।

        आज जनता भ्रष्ट्चार से वास्तव मे तंग आ चुकी है जनता हर उस व्यक्ति के साथ है जो उसे इस भ्रष्ट्चार से मुक्ति दिलाए जनता को अन्ना हजारे के रूप में ऐसा व्यक्तित्व दिखाई दिया है जो उसे इससे मुक्ति दिला सकता है  यदि इससे सरकार दिला सकती है तो वह उसके साथ भी हो सकती हैा यदि सरकार को ये लगता है कि उसके द्वारा संसद में पेश लोकपाल विधेयक प्रभावी है तो उसे जनता के बीच इसका प्रचार करना चाहिए तथा अन्ना के जन लोकपाल बिल से भी बेहतर होने का प्रमाण जनता के बीच रखना चाहिए । लेकिन सरकार जानती है कि उसके द्वारा प्रस्तुत बिल में वह नहीं है जो जनता चाहती है ।इसीलिए वह लोकपाल बिल का खुलासा नहीं कर रहीं । खोट सभी राजनीतिक दलों में है । उनकी कथनी और करनी में अंतर है । यदि राजनीतिक दल चाहे तो सरकारी लोकपाल विधेयक में संशोधन प्रस्ताव भी पेश करती है लेकिन संसद मे वे ऐसा नही कर रही  और जनता की मजबूरी ये है कि अपने द्वारा चुने गए सांसदों के अलावा किसी अन्य रास्ते से जन लोकपाल विधेयक पारित नहीं करा सकती ।  देखिए जनता को ये राजनीतिक दल किस तरह बेवकूफ बना रहे है एक तरफ जनता के मंच पर आकर यह प्रदर्शित कर रहे है कि वे जनता के साथ है जबकि संसद मे वे न तो अपनी पार्टी की ओर से और न ही प्र्राइंवेट विधेयक की प्रस्तुत कर रहे है और न ही सरकारी लोकपाल विधेयक की जो प्रतियां उन्हे मिली है उसमें कोई संशोधन सुझाव ही सरकार को दे रहे है ।

        उनका उद्दश्य केवल आगामी चुनावों में फायदा लेना है ताकि चुनावों के वक्त ये पार्टीया जनता को यह कह सके कि उस समय हम जनता के साथ थे तत्कालीन सरकार ने जन लोकपाल बिल पास नहीं कराया । हमारी इसमें कोई गलती नहीं है । हमें और हमारी पार्टी को वोट दिजिए  लेकिन अब भारतीय जनता को भी जागरूक होना होगा तभी ऐसे अवसरवादियों को मुंह तोड जबाव दिया जा सकेगा । उनसे जनता पूछे कि आप व आपकी पार्टी कहां थी जब भ्रष्ट्ाचार के खिलाफ पेश किये जाने वाले जन लोक पाल विधेयक को लेकर अन्ना हर पार्टी के पास गए थे और उनसे निवेदन किया था कि आप संसद में इस विधेयक को पास करावे तब आपने क्या किया  अन्ना हर पार्टी के दरवाजे से खाली लौटे थे। किसी ने भी ठोस आश्वासन नहीं दिया था। जनता को अपनी भूलने की आदत छोडनी होगी अन्यथा ये राजनीतिज्ञ और राजनीतिक पार्टीया जनता को हर बार ठगती रहेगी । अन्ना और उसकी टीम को भी समझना चाहिए कि जो काम संसद कर सकती है वह जनता नहीं कर सकती क्योंकि जनता ने संसद में अपने प्रतिनिधी भेजे है वे ही किसी कानून को बना सकते है  और कोई नहीं । हा जनता का दबाव देखकर ये जन प्रतिनिधी संसद में जन लोकपाल बिल की वकालत कर सकते है और उसे पारित करा सकते है । इसके लिए अन्ना और उसकी टीम को संसद के प्रत्येक सदस्य को(लोकसभा के 525 व राज्यसभा के 200 सदस्य या जितने भी है उन सबको) अपने जन लोकपाल बिल की प्रति देनी चाहिए और उस पर उनकी राय लिखित में लेकर सरकार को वह राय भेजनी चाहिए इससे दो फायदे होगे एक तो प्रत्येक संसद सदस्य का चेहरा सामने आ जाएगा कि वे जन लोकपाल बिल के कितने पक्षधर है और दूसरे सरकार को भी संसद सदस्यों की भावना के अनुरूप बिल पेश करने हेतु मजबूर होना पडेगा । अन्यथा भीड में ये नेता व संसद सदस्य जनता को यह प्रदर्शित करते रहेगे कि हम जनता के साथ है और जब संसद मे वोटिंग की बारी आएगी तो पता चलेगा कि लोकपाल बिल पारित नहीं हो सका । इस प्रक्रिया से राजनेताओं के दोहरे चरित्र की पोल खुल जाएगी और जनता को भी ये पता चल सकेगा कि हमारे किस चुने हुए प्रतिनिधी ने जनता के साथ धोखा किया ।