मंगलवार, 10 मई 2011

अयोध्या राम जन्म भूमि बावरी मस्जिद विवाद में नया मोड सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितम्बर 2010 के इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनउ पीठ के फैसले पर लगाई रोक


सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनउ पीठ द्वारा पिछले साल 30 सितम्बर 2010 को दिए फैसले पर हैरानी जताते हुए उक्त फैसले पर रोक लगा दी है । इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनउ पीठ के तीनो जजों ने अपने अलग अलग निर्णय दिए थे लेकिन उसमें तीनों जजों एकराय थे कि तीन गुंबदो वाले ढांचे का केंद्रीय गंबद जितनी भूमि में है जहां राम की प्रतिमा स्थापित है वह स्थान हिंदुआं का है  न्यायाधीश एसयू खान व सुधीर अग्रवाल का कहना था कि पूरी विवादित भूमि तीन भागों में बांट दी जाएं जबकि न्यायाधीश धर्मवीर शर्मा का निणर्य था कि पूरी विवादास्पद भूमि हिंदूआं की है । सुप्रीम कोर्ट ने कल अपनी सुनवाई में कहा कि हाईकोर्ट की पीठ का यह निर्णय उचित नहीं है और यह कहते हुए उसने उस निर्णय के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी और कहा कि किसी भी पक्ष ने जमीन बांटने की कोई मांग ही नहीं की थी और बिना मांगे बंटवारा करना उचित नहीं है । न्यायाधीश आफताब आलम व आर एम लोढा की पीठ ने सोमवार को यह व्यवस्था दी कि विवादास्पद ढांचे से लगी जिस 67 एकड जमीन को केन्द्र ने अधिग्रहित किया है उस पर कोई धांिर्मक गतिविधि नहीं होनी चाहिए । शेष भूमि के सन्दर्भ में 7 जनवरी 1993 की यथास्थिति बनाई रखी जाएं ।

ये तो है नया अदालती आदेश आइए हम अयोध्या राम जन्म भूमि बावरी मस्जित विवाद की उस जड तक पहुचने का प्रयास करें कि वास्तव में ये मामला क्या है । सुधि पाठक अपने विवेक से निर्णय करें कि वास्तव में ये मामला क्या है और इसके पीछे की राजनीति क्या है ।

राम मंदिर बावरी मस्जिद विवाद के कुछ तथ्य

       उपलब्ध प्रमाण बताते है कि 1853 में इस स्थल पर पहली बार साम्प्रदायिक दंगे हुए। और 1859 में अंगे्रजी शासकों ने विवादित स्थल पर बाड लगा दी परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को व बाहरी हिस्से में हिन्दुओं को पूजा की अनुमति दी गई ।

       1934 में दूसरी बार यहा दंगे हुए जिसमें हिन्दू पैरोकारों का कहना है कि इसके बाद मुसलमानों ने यहा कभी नमाज अदा नहीं की । जबकि बावरी मस्जिद के पैरोकारों का कहना है कि वे 1949 तक इसका मस्जिद के रूप में करते रहे हैं ।

       वर्तमान विवाद 22.23 दिसंबर 1949 को मस्जिद में कथित तौर पर चोरी छिपे मूर्तिया रखने से शुरू होता है । ये मूर्तिया पहले मस्जिद के आंगन मे स्थित राम चबूतरे पर थी तथा वहा पूजा अर्चना की जाती थी

       29 दिसंबर 1949 को मस्जिद कुर्क करके ताला लगा दिया गया  तथा  चाबी तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष को दे दी गंई तथा उन्हें मंदिर व मूर्तियों की पूजा आदि की जिम्मेदारी दी गई । 16 जनवरी 1950 को गोपाल सिंह विशारद ने सिविल कोर्ट में  मूर्तिया न हटाने व उन्हें पूजा अर्चना की अनुमति मांगी  सिविल कोर्ट ने आदेश दे दिए ।

       1959 में निर्मोही अखाडा ने रिसीवर हटाकर इमारत उन्हें सौपनें की मांग की । 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मुकदमा दायर कर कहा कि बाबर ने 1528 में यह मस्जिद बनवाई थी और 22.23 दिसंबर 1949 तक यह मस्जिद के रूप में इस्तेमाल होती रही ।

       1984 तक यह मुकदमा अयोध्या से लखनउ तक सीमित था लेकिन 1984 में राम जन्म भूमि मुक्ति समिति विश्व हिन्दु परिषद व राष्टृीय स्वयं सेवक संघ ने राम जन्म भूमि का ताला खोलने का जबरदस्त अभियान चलाकर इसे राष्ट्ीय बना दिया ।

       इस प्रकरण में नया मोड 1 फरवरी 1986 को तब आया जब फैजाबाद के जिला जज ने उमेश चन्द्र पाण्डे द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर विवादित परिसर का ताला खोलने का आदेश पारित कर दिया । इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप मुस्लिम समुदाय ने बावरी मस्जिद संघर्ष समिति का गठन किया ।

       1989 के चुनाव के पहले विश्व हिन्दू परिषद ने विवादित मस्जिद के सामने करीब 200 फिट की दूरी पर राम मंदिर का शिलान्यास किया ।

       1993 में केन्द्र सरकार ने राम मंदिर व मस्जिद बनवाने के लिए मस्जिद समेत 70 एकड जमीन अधिग्रहित कर ली । 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उ प्र हाईकोर्ट को अब केवल उस स्थान का मालिकाना हक तय करना है जहा विवादित मस्जिद थी। इस प्रकार करीब आधा बिस्वा जमीन का मुकदमा  बचा है ।इस मुकदमें में जीतने वाले पक्ष को आस पास की अधिग्रहित भूमि मे से आवश्यकता के अनुसार भूमि मिलनी है।

क्या था 1885 86 की अदालत का फैसला

उस समय अदालत ने अपने दिए फैसले में कहा था कि पवित्र समझे जाने वाले स्थान पर मस्जिद निर्माण दुर्भाग्यपूर्ण था लेकिन इतिहास में हुई गलती को 350  साल ठीक नहीं किया जा सकता ।  यह फैसला तत्कालीन अदालत ने उस समय दिया जब हिंदुआं की पंचायती संस्था ने मस्जिद से सटे राम चबूतरे पर मंदिर बनाने का दावा किया था तथा अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि ऐसा होने पर वहा सदैव साम्प्रदायिक झगडे व खून खराबा होगा ।

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