जन लोकपाल विधेयक व सरकारी लोकपाल बिल के प्रावधानों के मुख्य विरोधाभाषी बिन्दु
आखिर क्या है ऐसा इस विधेयक में जिसका अन्ना हजारे व उनके समर्थक विरोध कर रहे है। सरकार भी इस विधेयक के द्वारा भ्रष्टाचार को रोकना चाहती है और अन्ना हजारे का मकसद भी भ्रष्टाचार को रोकना ही है । फिर एक ही मुद्दे पर दोनो आमने सामने क्यों है । आइये सरकार द्वारा प्रस्तावित लोकपाल बिल और अन्ना हजारे व उनके समर्थको द्वारा तैयार जन लोकपाल विधेयक में क्या अन्तर है समझने का प्रयास करें । हांलाकि पूरे बिल का एक एक बिन्दु पर तो चर्चा यहां संभव नहीं है लेकिन मूल भूत अन्तर को समझने का प्रयास करते हैं ।
सरकारी लोकपाल बिल के प्रावधान जन लोकपाल विधेयक के प्रावधान
सरकार द्वारा प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के दायरे में क्षेत्र जबकि अन्ना हजारे व उनके समर्थको द्वारा तैयार किये गऐ
के सांसद मंत्री और प्रधानमंत्री को शामिल किया गया है लोकपाल मसौदे में प्रधानमंत्री सहित नेता अधिकारी व
उनके समर्थको द्वारा तैयार किये गऐ न्यायपालिका को भी
विधेयक के दायरे में शामिल करने की मांग की जा रही हैं
सरकारी लोकपाल विधेयक में लोकपाल के पद पर सेवानिवृत प्रस्तावित जन लोकपाल विधेयक में 10 लोकपाल की जूरी
तीन न्यायाधीशों की नियुक्ति की व्यवस्था है होने तथा उसमें से चार कानूनी पृष्ठभूमि के सदस्य होना
जरूरी करने और शेष छह सदस्यो का चयन किसी भी क्षेत्र से
करना शामिल है इसके अलावा इनमे से ही एक को इस जूरी
का अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की जा रही है
सरकार द्वारा प्रस्तावित लोकपाल विधेयक में आम लोगो को प्रस्तावित जन लोकपाल विधेयक में लोकपाल स्वयं किसी भी
अपनी शिकायत लोकसभा अध्यक्ष अथवा राज्य सभा अध्यक्ष किसी भी मामले पर प्रसंज्ञान ले सकेगे उन्हें किसी से भी
को भेजनी होगी तथा उनकी स्वीकृति के बाद ही किसी सांसद मंत्री अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी ।
अथवा प्रधानमंत्री पर कार्यवाही संभव होगी
सरकारी लोकपाल विधेयक में लोकपाल केवल अपनी राय दे सकते है अन्ना हजारे व उनके समर्थको द्वारा प्रस्तुत जन लोकपाल
उनकी राय अधिकार प्राप्त संस्था के पास भेजी जाएगी वही संस्था बिल मे जन लोकपाल ही सशक्त संस्था होनी चाहिए उसे
फैसला करेगी जबकि मंत्रीमंडल के सदस्यों के बारे में फैसला किसी भी अधिकारी के खिलाफ प्रसंज्ञान लेने प्राथमिकी दर्ज
प्रधानमत्री करेगे कराने तथा अपनी पुलिस फोर्स होने का अधिकार होना चाहिए
तथा भ्रष्ट अधिकारी को बर्खास्त किये जाने का प्रावधान किये
जाने की मांग की जा रही है
सरकार द्वारा प्रस्तावित लोकपाल विधेयक मे लोकपाल के सदस्यों जबकि जन लोकपाल विधेयक में लोकपाल के सदस्यों की
की नियुक्ति का अधिकार एक समिति को होगा जिसमें नियुक्ति का अधिकार न्यायिक क्षेत्र के लोगो मुख्य चुनाव
उपराष्ट्पति प्रधानमंत्री दोनो सदनो के नेता दोनो सदनो के आयुक्त नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक भारतीय मूल के
विपक्ष के नेता कानून व गृह मंत्री होगे नोबेल व मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त लोगो को होना चाहिए
सरकार द्वारा प्रस्तावित बिल मे दोषी को छह माह से सात माह जबकि जन लोकपाल बिल मे कम से कम पांच साल और
की सजा का प्रावधान है अधिकतम उम्र कैद तक का प्रावधान करने और घोटाले की
राशि की भरपाई का प्रावधान किये जाने की मांग की जा रही
है।
सरकार द्वारा प्रस्तावित लोकपाल बिल मे शिकायत झूठी पाए जाने जबकि जन लोक पाल बिल मे झूठी शिकायत करने पर जुर्माने
पर शिकायत कर्ता को जेल भी भेजा जा सकने का प्रावधान है का प्रावधान किये जाने की मांग की जा रही है
ऐसी स्थिति में जिनमें लोकपाल भ्रष्ट पाया जाए तो जन
लोकपाल बिल मे उसको पद से हटाएा जाने का प्रावधान
किये जाने की मांग की जा रही है। इसी के साथ केन्द्रीय
सतर्कता आयुक्त सीबीआई की भ्रष्ट्ाचार निरोधक शाखा को
को भी जन लोकपाल का हिस्सा बनाने का प्रावधान किये जाने
की मांग की जा रही है
मुख्य रूप से इन बिन्दुओं को लेकर ही अन्ना हजारे व उनके समर्थक सरकार के प्रस्तावित लोकपाल विधेयक का विरोध कर रहे है । हांलाकि इसके अलावा भी कई छोटे मोटे प्रावधान हो सकते है जिन पर उनकी राय सरकार के प्रावधानो से कुछ अलग हो लेकिन मुख्यतया ये ही बिन्दु है जिस पर पूरे भारत मे माहोल गर्माया हुंआ है । सुधि पाठको से यह अपेक्षा है कि वे अपने विवेक से यह निर्णय करें कि किन बिन्दुओं पर सरकार को अन्ना हजारे की बातों को मान लेना चाहिए और किन बिन्दुओं पर अन्ना हजारे व उनके समर्थको को सरकार के प्रावधानो का समर्थन करना चाहिए । लोकतांित्रक प्रणाली में किसी एक पक्ष की बात मान लेना भी अहितकर हो सकता है ।
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