सोमवार, 4 अप्रैल 2011

हम विकास के नाम पर अनजाने में ही अपना विनाश की ओर अग्रसर तो नहीं

जापान में भूकम्प और सुनामी के बाद परमाणु रिएक्टरों में हो रहे रेडिएशन ने पूरे विश्व को यह सोचने पर विवश कर दिया है कि अंधाधुंध किये जा रहे विकास के नाम पर हम मानवीय सभ्यताओं को अनायास ही समाप्त करने जा रहे है। किसने सोचा था कि जापान जैसे टेक्नालाॅजीयुक्त देश में परमाणु रिएकटरों से इतना बडा खतरा पैदा हो जाएगा । फुकुसिमा के तीन रिएक्टरों में ब्लास्ट हो चुके है और चैथे में आग लग गई हैं । रेडिएशन का खतरा 100 प्रतिशत से भी ज्यादा हो चुका है । 5 लाख लोगों को वहां से हटा दिया गया है अथवा सचेत कर दिया गया है।
         भारत मे विकास के नाम पर परमाणु रिएक्टरों की संख्या वर्तमान में 10 के लगभग है। अब हमारी सरकार का यह दायित्व हो गया है िकवह यह सुनिश्चित करें कि पहले से स्थापित ये परमाणु बिजलीघर ऐसी किसी भी विपदा का सामना करने के लिए कितने सक्षम है। क्या इनमें सुरक्षा के सभी उपाय पर्याप्त है? या फिर भोपाल गैस कांड की तरह हमारी सुरक्षा है। क्योंकि आपदा कभी कहकर नहीं आती उसका तो आंकलन कर ही कदम उठाने पडते हैं लेकिन दुभाग्र्य ये है कि हमारे देश में सुरक्षा के नाम पर केवल खानापूर्ति ही होती है। जापान की परिस्थितियों के देखते हुए हमंें अपने परमाणु रिएक्टरों का पुनः परीक्षण करना चाहिए और सुरक्षा के उपायों की जांच कर उनमें पाई जाने वाली कमियों को तुरंत दूर कर लेना चाहिए । और भविष्य में स्थापित होने वाले परमाणु रिएक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए । वरना हमारे देश मे जान माल का काफी नुकसान हो सकता हैं।
           जापान के परमाणु रिएक्टरों मे होने वाले रेडिएशन का प्रभाव कई देशों तक पहुंचने की संभावना हैं इन परिस्थितियों ने ये सोचने को मजबूर कर दिया है कि किसी एक देश का विकास किसी दूसरे देश के लिए किस प्रकार विनाश का कारण बन सकता है। 160 किलोमीटर उचे उड रहे विमान में रेडिएशन का प्रभाव दिखाई देना ये संकेत देता है कि खतरा कितना गंभीर है।          भारत में तो अंधाधुध परमाणु रिएक्टरों की स्थापना करने के प्रस्ताव विचाराधिन है अर्थात् हम विकास के नाम पर अनजाने में ही अपना विनाश करने की ओर अग्रसर है जबकि हमारे पास पवन उर्जा ,सौर उर्जा जैसे ऐसे विकास के स्त्रोत मोैजूद है जिनसे हम विकास भी कर सकते है ओैर विनाश की सबसे कम संभावना भी है । हम इन स्त्रोतों की ओर क्यों नहीं ध्यान दे रहे जो हमारे विकास के द्वार भी खोलेगे और आपदा होने पर जनहानि भी परमाणु रिएक्टरों की अपेक्षा कम होगी ।

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