सोमवार, 19 सितंबर 2011

गगनचुम्बी इमारतो का निर्माण : भूकंप रोधी उपायो के पालन की जरूरत

सिक्किम पश्चिम बंगाल बिहार सहित देश के उत्तर पश्चिम भाग मे आए भूकम्प ने सिक्किम मे ज्यादा नुकसान किया । हालाकि हमारे देश के अलावा नेपाल व भूटान में भी इसका असर रहा । रिचर स्केल पर सिक्किम में भूकम्प की तीव्रता 6 पांइट 8 मापी गई जिससे वहां जान व माल को नुकसान पहुंचा । ऐसी प्राकृतिक आपदाओ पर मानव का नियत्रण तो नहीं लेकिन हमारी नीतियों की वजह से जान माल के नुकसान को  कम जरूर किया जा सकता है ।

       दिल्ली सहित देश के कई बडे शहर भूकम्प के मुहाने पर बैठे है लेकिन हम गगनचुम्बी इमारतो का निर्माण करते ही जा रहे है । सरकारे गगनचुम्बी इमारतो के निर्माण की स्वीकृतिया ये बिना देखे देती जा रही है कि इन निर्माणाधीन इमारतो मे भूकम्परोधी उपायो को अपनाया जा रहा है या नहीं । हमारे देश मे अधिकतम कितनी तीव्रता का भूकम्प आ सकता है इसको ध्यान मे रखकर गगनचुम्बी इमारतों के निर्माण की स्वीकृति दी जानी चाहिए साथ ही उसके अनुरूप उस इमारत में भूकम्प रोधी उपायो को अपनाया गया है अथवा नहीं इसकी कडाई से पालना सुनिश्चित की जानी चाहिए । वर्तमान में हो यह रहा है कि हमारी सरकारे या प्रशासन जो कि निर्माण स्वीकृति जारी करते है वे निर्माणकर्ता से एक अण्डरटेकिग लेकर अपने कर्तव्यों की इति श्री कर लेते है और बाद मे प्रशासन व उनके इंजिनियरों द्वारा यह नहीं देखा जाता कि वास्तव में इन इमारतों में भूकम्प रोधी उपायों को शामिल किया गया है कि नही  वास्तव में हमारे देश में ऐसा कोई मानदण्ड है ही नहीं क्योकि हमारे यहां इस प्रकार की आपदाओ से निपटने के लिए कोई कार्य योजना न तो सरकार के पास है और न ही प्रशासन के पास ।

 किस शहर में अधिकतम कितनी तीव्रता का भूकम्प आ सकता है यह हमारी निर्माण स्वीकृति देने वाली सरकारी एंजेन्सियो के पास भी नहीं है इसलिए वे इस प्रकार की आपदाओ के लिए कोई गाइड लाइन ही निर्धारित नहीं कर पाई है हांलाकि बडे शहरो मे शायद ऐसी कोई गाइड लाइन निर्धारित हो तो उसका शायद ही पालन किया जाता हो । गगनचुम्बी इमारते बनती जा रही है लेकिन भूकम्प रोधी उपायो का कडाई से पालन शायद ही किया जाता हो । सिक्किम मे आए भूकम्प के बाद हमे सचेत होना पडेगा तथा स्थानीय निर्माण स्वीकृति देने वाली सरकारी एजेन्सियों को अपने शहर की भू गर्भ सम्बन्धी परिस्थितियों का आंकलन कर बडी इमारतो के निर्माण में भूकम्प रोधी उपायो का सख्ती से पालन कराना होगा तभी हम कम से कम जान व माल की हानि को होने से रोक पाएगे ।

वर्तमान में हमारे देश मे भी फ्लेट संस्कृति का प्रचलन होने लगा है जिनमें 10 या इससे भी अधिक मन्जिलों का निर्माण हो रहा है ऐसे मे निर्माण स्वीकृति देने वाली सरकारी एजेन्सियों का यह दायित्व हो जाता है कि वे अन्य सुरक्षा उपायो के साथ साथ भूकम्प रोधी सुरक्षा उपायों को देखे और उसका कडाई से पालन हो इसका पुख्ता इंतजाम करें अन्यथा जब विनाशकारी भूकम्प के झटको से  भारी जान व माल का नुकसान होगा तो शहर कब्रिस्तानो मे बदलते दिखाई देगे । अभी तक हमारे देश में गगनचुम्बी इमारतो का निर्माण बहुत कम था लेकिन पिछले 5 सालो से तो छोटे बडे सभी शहरो में इन इमारतो का प्रचलन बढने लगा है इसलिए अब इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है ।

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